
पुणे। एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद, चाचा-भतीजा शरद पवार और अजित पवार एक बार फिर एक ही मंच पर नजर आए, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे को पूरी तरह से इग्नोर किया। गुरुवार को वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट की वार्षिक आम बैठक में, जहां दोनों के एक साथ बैठने की व्यवस्था की गई थी, अंततः उन्होंने अलग-अलग बैठकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह एक सप्ताह में दूसरा अवसर था जब दोनों नेता सार्वजनिक रूप से एक साथ देखे गए। इससे पहले, बारामती में ‘2025 कृषि महोत्सव’ के उद्घाटन समारोह में भी उन्होंने एक मंच साझा किया था। कार्यक्रम में बोलते हुए, अजित पवार ने किसानों के लिए 10,000 रुपये के पुरस्कार की राशि को बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की मांग की। उन्होंने इस बढ़ोतरी के निर्णय के लिए शरद पवार से आग्रह किया, जिसे शरद पवार ने स्वीकार कर लिया। इस प्रकार, अब पुरस्कार राशि बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी जाएगी और अम्बालिका शुगर फैक्ट्री को दी जाने वाली कुल पुरस्कार राशि 2 लाख रुपये से बढ़कर 5 लाख रुपये होगी। हालांकि, अजित पवार ने शरद पवार के बगल में बैठने से परहेज किया। कार्यक्रम में शरद पवार की बेटी और बारामती की सांसद सुप्रिया सुले और अजित पवार की पत्नी, राज्यसभा सांसद सुनेत्रा पवार एक-दूसरे के बगल में मौजूद थीं, लेकिन उनके बीच भी कोई खास बातचीत नहीं हुई, सिर्फ विनम्र मुस्कान तक उनकी बातचीत सीमित रही।
परिवार में तनाव की स्थिति
एनसीपी के एक दो हिस्सों में बंटने के बाद से परिवार का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से अपने चाचा के साथ उपस्थित होने से खासकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान परहेज किया, जहां दोनों गुटों के बीच तीखी बयानबाजी हुई। हालांकि, महायुति गठबंधन के दूसरे कार्यकाल में अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद थोड़े समय तक सुलह की कोशिशें हुईं। दिसंबर में, अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के दिल्ली स्थित घर पर उनके जन्मदिन पर बधाई देने पहुंचे थे, लेकिन इसके बाद लगातार तनाव की स्थिति बनी रही है। इस प्रकार, दोनों नेताओं के बीच की खटास अब परिवार के सदस्यों में भी दिखाई दे रही है, जो कि एनसीपी में मौजूदा राजनीतिक विषमताओं का संकेत कर रही है।




