मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को धारावी झुग्गी बस्ती पुनर्विकास परियोजना को अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.के.उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने इस याचिका को कोई आधार न होने के कारण खारिज कर दिया। यह याचिका संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन द्वारा दायर की गई थी, जिसमें अडानी प्रॉपर्टीज को परियोजना देने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। अडानी समूह ने 2022 में 259 हेक्टेयर क्षेत्र में धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए सबसे अधिक बोली लगाई थी, जिसकी रकम 5069 करोड़ रुपये थी। यूएई की सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन ने इस निविदा को रद्द करने और 2022 में अडानी को दी गई निविदा को चुनौती दी थी।
बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने कहा कि याचिका में उठाए गए बिंदुओं का कोई ठोस आधार नहीं है, और इसलिए इसे खारिज किया जाता है। अदालत ने सरकार द्वारा निविदा रद्द करने और नई निविदा पेश करने के कदम को भी वैध ठहराया। इस परियोजना के तहत लगभग 620 एकड़ की जमीन पर पुनर्विकास किया जाएगा, जिससे धारावी की झुग्गी बस्ती को एक शहरी केंद्र में बदला जाएगा। परियोजना के तहत लगभग सात लाख लोगों को 350 वर्ग फुट तक के फ्लैट मुफ्त में दिए जाएंगे। यह परियोजना मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित धारावी में होगी, जिसे एशिया के सबसे बड़े स्लम के रूप में जाना जाता है।