Thursday, December 12, 2024
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मानवाधिकार दिवस: सबके अधिकारों की रक्षा से लोकतंत्र मजबूत होता है: राज्यपाल

मुंबई। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में, महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के महत्व को रेखांकित किया। राजभवन में राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा, हमारा लोकतंत्र इसलिए मजबूत है क्योंकि हम सभी के अधिकारों को समान रूप से महत्व देते हैं। राज्यपाल ने शिक्षा प्रणाली में मानवाधिकार शिक्षा को शामिल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रमों में इसे शामिल करने से युवाओं में सहानुभूति और न्याय की संस्कृति विकसित होगी। कार्यक्रम में उपस्थित बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस नरेश पाटिल, राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के.के. तातेड, सदस्य एम.ए.सईद, और संजय कुमार ने आयोग के कार्यों पर प्रकाश डाला। राज्यपाल ने आयोग द्वारा कमजोर वर्गों, जैसे अल्पसंख्यकों, महिलाओं, बच्चों, और दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा में निभाई गई भूमिका की सराहना की। राज्यपाल ने जलवायु परिवर्तन को किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का एक प्रमुख कारण बताया। उन्होंने किसानों के लिए परामर्श सेवाओं और समर्थन प्रणालियों की आवश्यकता पर बल दिया। इस वर्ष के मानवाधिकार दिवस का विषय, ‘आपले हक्क, आपले भविष्य’ को राज्यपाल ने अत्यंत दूरदर्शी बताया। उन्होंने मानवाधिकार आयोग की ओर से आयोजित विशेषज्ञ व्याख्यानों की प्रशंसा की। राज्यपाल ने कहा कि आयोग ने अपनी स्थापना के बाद से ही समाज के कमजोर वर्गों के लिए आशा की किरण बनकर कार्य किया है। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों, महिला एवं बाल अधिकारों, विकलांगों, और वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मुद्दों पर जन जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। इस अवसर पर आयोग की स्मारिका का विमोचन किया गया। आयोग के अध्यक्ष के.के. तातेड, ने आयोग के कार्यों और उपलब्धियों की जानकारी दी, जबकि पूर्व मुख्य जस्टिस पाटिल ने सभी से अपने अधिकारों की रक्षा करते हुए दूसरों के अधिकारों के प्रति भी जागरूक रहने का आग्रह किया। राज्यपाल ने कहा, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि हर नागरिक को आत्म-सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर मिले। इसके साथ ही, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास भी महत्वपूर्ण हैं। इस कार्यक्रम ने मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता और सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाने की प्रेरणा दी।

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