Sunday, November 24, 2024
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बांग्लादेश में दुर्गापूजा पर संकट के बादल

लेखक- मनोज कुमार अग्रवाल
बांग्लादेश में मजहबी कट्टरपंथी ताकतों का अराजकता भरा उन्माद सिर चढ़कर बोल रहा है इसी के चलते हजारों साल से चली आ रही दुर्गा पूजा भी उनकी आंखों में चुभ रही है। इस बार बांग्लादेश में शारदीय नवरात्रि पर होने वाली दुर्गा पूजा कट्टरपंथी लोगों के निशाने पर है। बांग्लादेश से प्रधानमंत्री शेख हसीना के निर्वासन के बाद वहां हिन्दू विरोधी कट्टरपंथी ताकतों द्वारा कदम कदम पर हिन्दुओं का सामाजिक, धार्मिक ,सामुदायिक दमन किया जा रहा है। बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। राज्य में इस्लामी कट्टरपंथी समूहों ने हिंदूओ के कई मंदिरों और समितियों को धमकी भरे पत्र भेजे हैं। जिनमें 5 लाख बांग्लादेशी टका की मांग की गई है। इस पत्र में कहा गया है कि अगर ये रकम नहीं भेजी गई तो उन्हें पूजा नहीं करने दी जाएगी। हिंदू समुदाय के सदस्यों का कहना है कि दुर्गा जी की प्रतिमा को तोड़ने और जबरन वसूली के लिए उन्हें कई ऐसी ही धमकियां मिली है। इन धमकियों के चलते बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के आयोजन पर संकट के बादल छा गए हैं। बांग्लादेश में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है हालांकि अतीत में मुगल काल तक में भी मौजूदा बांग्लादेश में दुर्गा पूजा की जाती रही थी। दुर्गा पूजा का उत्साह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि सारे विश्व में दिखाई देता है। हमारे पड़ोसी बांग्लादेश में भी माँ दुर्गा की पूजा बड़े आयोजन के रूप में होती है। सिर्फ हिंदू समुदाय के लोग ही यह त्यौहार नहीं मनाते, बल्कि लिबरल मुसलमान भी इसमें बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। वहां यह अब एक सार्वभौमिक त्यौहार है। यह जानना कम सुखद नहीं है कि 2022 में बांग्लादेश में 32,168 दुर्गा पंडाल लगाए गए थे। अकेले ढाका में पूजा पंडालों की संख्या 241 थी।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित ढाकेश्वरी मंदिर इस बात का प्रमाण है कि इस क्षेत्र में माँ दुर्गा की उपासना सदियों से होती चली आ रही है। माना जाता है कि ढाकेश्वरी मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में बल्लाल सेन नाम के एक हिंदू राजा ने की थी। बल्लाल सेन को माँ दुर्गा ने सपने में आकर कहा था कि उनकी प्रतिमा पास के जंगल के एक विशेष स्थान पर दबी हुई है, वह उस प्रतिमा को वहां से लेकर मंदिर में स्थापित करें। ढाकेश्वरी माँ के नाम पर ही बांग्लादेश की राजधानी का नाम ढाका पड़ा, ऐसी मान्यता है। तभी से ढाका में माँ दुर्गा की यह पारंपरिक पूजा होती आ रही है। बांग्लादेश में ढाकेश्वरी मंदिर के अलावा सिद्धेश्वरी मंदिर, रमना काली मंदिर और रामकृष्ण मिशन मंदिर भी दुर्गा और काली पूजा के लिए विश्वविख्यात है। सिलहट जिले के पंचगांव की दुर्गापूजा लगभग 300 साल पुरानी है। यह पूरे उपमहाद्वीप में एकमात्र लाल रंग की दुर्गा है। सच कहे तो आज जिस रूप में हम दुर्गा पूजा का आयोजन करते हैं, उसकी शुरुआत बंगाल से हुई। आज भी धूमधाम और भव्यता में बंगाल की दुर्गापूजा का कोई मुकाबला नहीं है। भारत विभाजन से पहले बांग्लादेश बंगाल का ही हिस्सा था, दोनों की संस्कृति भी एक ही थी। पहले बंगाल का एक भाग पूर्वी पकिस्तान के रूप में पाकिस्तान का हिस्सा बना और फिर 1971 में स्वतंत्र देश बन गया।
इधर के कुछ वर्षों में बांग्लादेश में भी इस्लामिक कट्टरपंथी सर उठाने लगे हैं। दुर्गा पूजा के पिछले कुछ आयोजनों में विघ्न डालने के प्रयास किए गए। पिछले साल तो किसी कट्टरपंथी ने पंडाल में कुरान की प्रति रख दी और अफवाहें फैला दीं। कई जगह पंडाल में तोड़ फोड़ भी की गई। अब प्रधानमंत्री शेख हसीना के निर्वासन के बाद कट्टरपंथी ताकतों ने बड़े पैमाने पर हिन्दुओं के साथ हिंसा और आगजनी ,महिलाओं खासकर नाबालिग लड़कियों के साथ दरिंदगी, पूजा स्थलों पर तोडफ़ोड़ और मूर्ति भंजन की वारदातों को अंजाम दिया है। हाल ही में कट्टरपंथी तत्वों ने एक पत्र भेज कर खुली अवैध वसूली और धमकी देने का एलान किया है। इन तत्वों ने चेतावनी दी है कि ‘अगर आप दुर्गा पूजा मनाना चाहते हैं, तो हर मंदिर समिति को 5 लाख टका दान देना होगा। अगर आप इसका पालन नहीं करते हैं, तो आप उत्सव नहीं मना पाएंगे। हम जो जगह बताएंगे, वहां एक हफ़्ते के अंदर पैसे जमा कर दें। याद रखें, अगर आपने प्रशासन या प्रेस को बताया, तो हम आपके टुकड़े-टुकड़े कर देंगे।’
चेतावनी पत्र में आगे लिखा है कि’हम अल्लाह की कसम खाते हैं, अगर हमें पैसे नहीं मिले, तो हम तुम्हें टुकड़े-टुकड़े कर देंगे। हमारी नज़र तुम पर है।’
दुर्गा पूजा से पहले तनाव के चलते बांग्लादेशी अधिकारियों ने देश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए उपायों को बढ़ाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि दुर्गा पूजा पंडालों के आसपास सतर्कता बढ़ाई जाएगी। पुलिस महानिरीक्षक मोइनुल इस्लाम ने कहा कि दुर्गा पूजा समारोहों के लिए तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था अपनाई जा रही है। यह मूर्ति विसर्जन तक लागू रहेगी।
अगर दुर्गा पूजा समितियों को कोई धमकी देता हैं तो वे आपातकालीन नंबर 999 पर संपर्क कर सकते हैं। दुर्गा पूजा के लिए सादे कपड़ों में सुरक्षाकर्मी, संकट प्रतिक्रिया दल और स्वाट को स्टैंडबाय पर रखा जाएगा। वहीं, डाकोप पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर-इन-चार्ज सिराजुल इस्लाम ने कहा, ‘शुक्रवार को चार मंदिरों ने जीडी दर्ज कराई है। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और नियमित रूप से सेना दल के साथ गश्त कर रहे हैं।
बांग्लादेश की सरकार ने बाकायदा फरमान जारी कर हिंदुओं को आदेश दिया है कि दुर्गा पूजा पंडालों में बजने वाले म्यूजिक सिस्टम मस्जिदों में होने वाली अजान और नमाज के वक्त बंद कर दिए जाएं। बांग्लादेश की सरकार के इस तालिबानी फरमान का अब चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक बांग्लादेश में गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने यह आदेश जारी किया है। इस फरमान में जहांगीर आलम ने कहा है कि दुर्गा पूजा पंडालों के दौरान मस्जिद में अजान से 5 मिनट पहले म्यूजिक सिस्टम को बंद करना अनिवार्य होगा। इसके बाद जब तक मस्जिदों में नमाज चलेगी, तब तक पंडालों में बजने वाले सभी म्यूजिक सिस्टम और लाउडस्पीकर बंद रहने चाहिए। बांग्लादेश की यूनुस सरकार के इस तालिबानी फरमान का भारत में विरोध शुरू हो गया है। इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने एक्स पर पोस्ट कर इस आदेश पर विरोध जताया है। पोस्ट में दास ने लिखा, बांग्लादेश में गृह मंत्री के सलाहकार फरमान जारी कर रहे हैं कि हिंदुओं को अजान से 5 मिनट पहले अपनी सभी पूजा- अनुष्ठान और संगीत बंद कर देना चाहिए वरना उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। ये नया तालिबानी बांग्लादेश है। इन हालातों में क्या हजारों साल से चली आ रही दुर्गा पूजा इस साल परम्परागत उत्साह से संपन्न हो पाएगी इसमें संदेह की काफी गुंजाइश है। लेकिन यह अजब दुर्योग कहा जाएगा कि बांग्लादेश में हिन्दूओं के साथ बर्बरता की वारदातों के बावजूद भारत में भारतीय क्रिकेट टीम बांग्लादेश की टीम के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेल रही है और बांग्लादेश में हो रही अराजकता के खिलाफ तनिक भी विरोध नहीं जता रही है। सेकुलरिज्म ने हमारे राष्ट्रीय चरित्र और चेतना का किस हद तक पतन किया है यह इस बात का सटीक सत्यापन है।

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