Friday, November 22, 2024
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संजय राउत का फडणवीस पर हमला: ‘100 जन्म भी ले लें, फिर भी नहीं समझ पाएंगे शरद पवार के दिमाग को’

मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने रविवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने फडणवीस की आलोचना करते हुए कहा कि चाहे फडणवीस 100 बार भी जन्म लें, तब भी वे शरद पवार के दिमाग में क्या चल रहा है, इसे समझ नहीं पाएंगे। राउत की यह टिप्पणी फडणवीस के उस बयान के बाद आई है, जिसमें फडणवीस ने दावा किया था कि शरद पवार ने विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के लिए जिन तीन से चार नामों का चयन किया था, उनमें शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे का नाम नहीं था। संजय राउत ने तीखे शब्दों में कहा, “2019 में क्या देवेंद्र फडणवीस यह जानते थे कि शरद पवार के दिमाग में क्या चल रहा था? भले ही वह 100 बार जन्म ले लें, लेकिन वे यह नहीं समझ पाएंगे कि शरद पवार के दिमाग में क्या चल रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि अगर राज्य में सत्तारूढ़ दल और गठबंधन (एमवीए) में हिम्मत बची है, तो उन्हें चुनाव कराने का साहस दिखाना चाहिए। संजय राउत ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साजिश रची है, जिसमें महाराष्ट्र के राजनीतिक दलों और उनके नेतृत्व करने वाले परिवारों के बीच विभाजन की योजना बनाई गई थी। उन्होंने अजित पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों और परिवारों को तोड़ने की इस साजिश के पीछे मोदी और शाह का हाथ था, और एकनाथ शिंदे एवं अजित पवार इस साजिश का शिकार बने। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा। अजित पवार के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा कि समाज उन लोगों को पसंद नहीं करता जो अपने परिवार को तोड़ते हैं। यह बयान गढ़चिरौली में एक रैली के दौरान आया, जहां अजित पवार ने राज्य मंत्री धर्मराव बाबा आत्रम की बेटी भाग्यश्री को शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) में शामिल होने से रोकने की कोशिश की थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, और चुनावी माहौल में यह संघर्ष और भी तेज हो सकता है।

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