मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने दहेज उत्पीड़न के एक मामले में मुकदमे की सुनवाई में तेजी लाने के अपने 2021 के आदेश का पालन न करने पर एक मजिस्ट्रेट के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। न्यायमूर्ति ए.एस.गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने नवी मुंबई न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत की अध्यक्षता कर रहीं मजिस्ट्रेट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय के निर्देशों का बिल्कुल भी सम्मान नहीं किया और ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपने कार्य में गंभीर नहीं हैं। पीठ ने 9 अगस्त को दिए अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मजिस्ट्रेट ने समय पर सुनवाई पूरी न करने के लिए जो कारण बताए, वे केवल बहाने हैं। अदालत ने कहा, हम न्यायिक अधिकारी द्वारा इस न्यायालय से जारी निर्देशों का पालन न करने तथा उनका सम्मान न करने के लिए बताए गए कमजोर बहाने को स्वीकार करने में असमर्थ हैं। हमें ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायिक अधिकारी अपने न्यायिक कार्य को करने में गंभीर नहीं है। इस मामले में उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट सहित पूरे मामले को उचित निर्देशों के लिए उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह आदेश उस व्यक्ति द्वारा दायर आवेदन पर पारित किया गया, जो दहेज उत्पीड़न के मामले का सामना कर रहा है और जिसने दावा किया कि 2021 में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बावजूद मजिस्ट्रेट ने अभी तक मुकदमे की सुनवाई पूरी नहीं की है। फरवरी 2021 में उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट को चार महीने के भीतर मुकदमे का फैसला सुनाने का निर्देश दिया था, लेकिन मजिस्ट्रेट ने इसे पूरा नहीं किया। मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि मामला जनवरी 2023 में ही उनके समक्ष रखा गया था और उन्हें लिपिक द्वारा यह जानकारी नहीं दी गई थी कि उच्च न्यायालय ने इस मामले को समयबद्ध कर दिया है। उन्होंने स्टाफ की कमी और लंबित मामलों की अधिक संख्या को भी आदेश का पालन न कर पाने का कारण बताया। मजिस्ट्रेट ने सुनवाई पूरी करने के लिए छह महीने का समय मांगा, लेकिन उच्च न्यायालय ने उनके द्वारा उठाए गए कदमों को अपर्याप्त पाया और उनके स्पष्टीकरण को अस्वीकार कर दिया।