
दूसरी बार सत्ता परिवर्तन की हुंकार भरने के लिए इंडिया गठबंधन के ध्रुव गांधी मैदान में भीड़ को संबोधित करने लगे।स्मरणीय है कि इंदिरा गांधी की सत्ता को चुनौती देने के लिए जयप्रकाश नारायण ने पहले यहीं हुंकार भरी थी। आंदोलन के कारण ही इंदिरा गांधी को इमरजेंसी लगानी पड़ी थी। सारे विपक्षी नेताओं की धड़ पकड़ की गई थी। सारे विपक्षी दल एक होकर जनता पार्टी के नाम से चुनाव लड़े। आंदोलन का असर यह हुआ कि इंदिरा गांधी, संजय गांधी समेत कांग्रेसी चुनाव में पराजित हुए। दक्षिणी भारत ने कांग्रेस की लाज रखी थी जहां से कांग्रेस को एक सौ सीटें मिली थीं लेकिन समूचे हिंदी बेल्ट में कांग्रेस का सफाया हो गया था। आज फिर से पटना का विशाल गांधी मैदान नए आंदोलन का साक्षी बना। आज भी अघोषित इमरजेंसी देश में लागू है। इंदिरा गांधी की इमरजेंसी में विपक्षी नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था। आज विपक्ष को खत्म करने के लिए भ्रष्टाचार के नाम पर बीजेपी अपने हथियार आईटी, सीबीआई और ईडी भेजकर विपक्षी नेताओं को बीजेपी में या साथ कर लिया है। जो गुलाम नहीं बना उसे जेल भेज दिया गया है। जैसे जैसे लोकसभा चुनाव निकट आ रहा है। ईडी विपक्ष के कुछ नेताओं को जेल में भेजने को आतुर है। आचार संहिता लागू होने तक कुछ और विपक्षी नेता यदि जेल भेज दिए जाते हैं तो आश्चर्य नहीं होगा। पटना में यूं तो तमाम रैलियां होती रही है मगर यादगार रूप में जयप्रकाश नारायण की रैली भीड़ के मामले में बेजोड़ थी लेकिन जिस तरह सड़कों पर विभिन्न झंडे लिए आने वालों की भीड़ पहले ही दिख रही थी। लगा एक नया अध्याय लिखेगी भीड़। यद्यपि तेजस्वी यादव ने आ। आमंत्रित पहले ही किया था लेकिन भीड़ स्वस्फूर्त लगी। इंडिया की यह रैली जयप्रकाश नारायण की रैली को पीछे छोड़ चुकी है। इतनी भीड़ पटना वासियों ने पहले कभी नहीं देखा था। राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ों न्याय यात्रा से समय निकालकर गांधी मैदान पहुंचे और जनता का आह्वान किया। राहुल गांधी भले बहुत अच्छे वक्ता न हों लेकिन जिस तरह वे जनता से जुड़े मुद्दे उठाते हैं सबको अपने से जोड़ लेते हैं। वे किसानों महिलाओं, मजदूरों, छोटे व्यापारियों, बेरोजगार युवाओं की बात करते हुए दिल में उतर जाते हैं।इंडिया की रैली में जुटे लोग भाड़े के नहीं लाए गए थे बल्कि सभी सत्ता परिवर्तन करने को लेकर प्रतीज्ञ लगे। जिस तरह का उत्साह भीड़ में देखा गया लगा सचमुच ही केंद्र से बीजेपी की विदाई हो जायेगी।यह भीड़ नहीं वोटर हैं विहार के। ऐसी ही बड़ी बड़ी रैलियां लखनऊ, दिल्ली, भोपाल, मुंबई, जयपुर, गांधीनगर, कोलकाता में भी होगी जिसे देखकर बीजेपी का विचलित होना स्वाभाविक है। यूपी और बिहार की कुल 120 लोकसभा सीटें हैं जिनमें अधिकांश पर बीजेपी और कुछ सीटों पर एनडीए काबिज है परंतु यह विशालतम रैली ने बता दिया कि बीजेपी की राह आसान नहीं होने वाली है उसका अब की बार चार सौ पार का नारा,नारा ही बनकर रह जाएगा। पटना की इस विशालतम रैली देखकर निश्चित ही इंडिया में शामिल दलों के बूढ़े नेताओं में यौवन संचार होने लगेगा। जो अभी इंडिया गठबंधन पूरा हुआ ही नहीं कहते थे उन्हें हिलाकर रख दिया है इस रैली ने।अब इंडिया गठबंधन की जीत में कोई भी किंतु परंतु रहने वाला नहीं है।