
इस समय नए संसद भवन में शीतकालीन सत्र चल रहा है। कार्यवाही के बीच दर्शक दीर्घा से दो शिक्षित बेरोजगार युवा सांसदों के बीच कूद पड़े। सांसदों ने उनके बाल पकड़कर धुनाई कर दी। वे बेरोजगार शिक्षित युवा सांसदों के बीच फरियाद करने गए थे। सांसद यदि चाहते तो 543 सांसदों के बीच दो बेरोजगार युवा उनका अहित नहीं कर सकते थे। उन्हें युवकों का पक्ष सुनना चाहिए था। आखिर किसी सांसद के पास पर ही वे दर्शक दीर्घा में गए होंगे लेकिन हमारे माननीयों को असह्य लगा सो धुन दिया। एक एमए, एम फिल टेट पास बेरोजगार युवती ने संसद भवन गेट पर धुआं कर दिया।कुल पांच वेल क्वालिफाइड बेरोजगार जिंदगी के हालातों से बेजार यदि फरियाद करना चाहते थे तो उन्हें सुनना चाहिए था लेकिन इतना धैर्य और सोचने की शक्ति कहां? माननीय हैं शक्तिमान हैं।140, करोड़ जनता की जिंदगी कैसी हो,लोग जिएं या मरें, इसके लिए कानून बनाने वाले क्या जानें पीड़ा बेरोजगारी का ? उनकी मौज है बस इतने से मतलब। यदि कहा जाय कि वे युवा सदन को सुनाना चाहते थे जैसे शहीदेआजम भगत सिंह ने बाहरी अंधी अंग्रेज सरकार को सुनने के लिए पटाखे फोड़े थे संसद में लेकिन इन युवाओं ने ऐसा कुछ नहीं किया। हां अपनी बात कहने का तरीका गलत चुना। करते भी तो क्या करते? बेरोजगार वाली जिंदगी बोझ बन गई है उनकी। इससे प्रमाणित होता है भविष्य में बोलने की आजादी छीन ली जाएगी। वैसे भी बीजेपी सरकार से सवाल पूछने वाले को देशद्रोही कहा जाता है। पांचों बेरोजगार युवा जिनमें एक एमए पास लड़की भी थी। सबको गिरफ्तार का एफ आई आर लिखी गई है। लड़की की मां के अनुसार नौकरी नहीं मिलने से बेहद परेशान थी। परेशान तो देश के करोड़ों बेरोजगार युवा हैं। गिरफ्तार युवकों को जिंदगी भार लगने लगी थी।फांसी भी अगर दे दी जाय तो उनको बदहाल जिंदगी से छुटकारा मिल जाएगी। बेरोजगार युवाओं को अपनी पीड़ा बताने का अधिकार कहां है? – यतीन्द्र पाण्डेय