Friday, June 20, 2025
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हाईकोर्ट ने अग्नि सुरक्षा नियमों को लागू करने में देरी पर महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई

मुंबई। बंबई हाईकोर्ट ने अग्नि सुरक्षा नियमों को लागू करने में देरी करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई करते हुए बुधवार को कहा कि मुंबई में हर दूसरे दिन आग लगने की घटना होती है, जिसमें लोगों की जान चली जाती है। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने कहा कि यह ‘‘बहुत गंभीर’’ मुद्दा है और ‘‘कोई भी ढिलाई स्वीकार नहीं की जा सकती। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने कहा आग लगने की घटनाएं बढ़ती दिख रही हैं। इस शहर में हर दूसरे दिन आग लगने की घटना होती है और लोगों के जान गंवाने की खबरें आती हैं। अदालत ने कहा कि यह उसका काम नहीं है कि वह सरकार को यह बताती रहे कि क्या कदम उठाने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा ऐसा नहीं किया गया है। क्या हम यहां आपको (सरकार को) हर कार्रवाई के लिए बताने को बैठे हैं? क्या यही हमारा काम है? यहां यह सब क्या हो रहा है? पीठ ने हाल में दक्षिण मुंबई में चार मंजिला एक आवासीय इमारत में आग लगने की घटना का जिक्र किया, जहां 82 वर्षीय महिला और उसके 60 वर्षीय बेटे की जान चली गई। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जिस तरह से ये दो मौतें हुई हैं…क्या आप (सरकार) इस शहर के लोगों के लिए यही चाहते हैं कि वे अपने परिवार के प्रियजनों को इस तरह खो दें? अतिरिक्त सरकारी वकील ज्योति चव्हाण ने अदालत को सूचित किया कि पिछले साल गठित एक विशेषज्ञ समिति ने फरवरी 2023 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। चव्हाण ने कहा कि रिपोर्ट को विचार के लिए और विकास नियंत्रण और संवर्धन नियंत्रण (डीसीपीआर) 2034 में संशोधन के लिए कदम उठाने को लेकर राज्य शहरी विकास विभाग के समक्ष रखा गया है। पीठ ने कहा कि रिपोर्ट फरवरी में सौंपी गई थी और अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। अदालत ने कहा अब दिसंबर का महीना है। सरकार क्या कर रही है? किसी भी तरह की ढिलाई स्वीकार नहीं की जा सकती। पीठ ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वह शुक्रवार को अदालत को बताएं कि इस मुद्दे पर कितना समय लगेगा। अदालत ने कहा, ‘‘हम एक विशिष्ट समयसीमा चाहते हैं। पीठ 2019 में वकील आभा सिंह द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मानव निर्मित आपदाओं के प्रति संवेदनशील इमारतों में अग्नि सुरक्षा के लिए 2009 के विशेष नियमों और विनियमों के मसौदे को लागू करने का अनुरोध किया गया था।

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