
मुंबई। मुंबई की 86 वर्षीय महिला के साथ आधार कार्ड से जुड़ी एक चौंकाने वाली साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें ठगों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर महिला से 20.25 करोड़ रुपये ऐंठ लिए। मुंबई क्राइम ब्रांच की साइबर पुलिस ने इस मामले में दो युवकों को गिरफ्तार किया है। यह घटना तब शुरू हुई जब महिला को एक फोन आया, जिसमें कॉलर ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में किया जा रहा है और एक फर्जी बैंक खाता खोलने में इसका उपयोग हुआ है। घोटालेबाजों ने महिला को धमकी दी कि अगर वह कानूनी कार्रवाई से बचना चाहती है, तो उसे अपनी सारी रकम अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करनी होगी। महिला को “डिजिटल गिरफ्तारी” में रखा गया, यानी उसे निर्देश दिया गया कि वह किसी से बात न करे और पूरी प्रक्रिया के दौरान चुप रहे। महिला को जब अहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो गई है, तब उसने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच शुरू की और दो आरोपियों— शायन जमील शेख (मलाड, पश्चिम निवासी) और राजिक आजम बट (मीरा रोड, पूर्व निवासी) को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि आरोपी राजिक आजम बट के तार एक अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह से जुड़े हो सकते हैं। उसने टेलीग्राम पर 13 विदेशी नागरिकों का एक समूह बनाया था, जिसके माध्यम से भारतीय बैंक खातों की जानकारी साझा की जाती थी ताकि आगे और भी धोखाधड़ी की जा सके। यह ठगी 26 दिसंबर 2024 से 3 मार्च 2025 के बीच अंजाम दी गई। मुंबई पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है। अधिकारियों ने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद कुछ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं, जिससे इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का भंडाफोड़ होने की उम्मीद है। यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि साइबर अपराधी न सिर्फ तकनीकी जानकारी रखते हैं, बल्कि वे मनोवैज्ञानिक हथकंडे अपनाकर लोगों को डराने और धमकाने में भी माहिर हैं। पुलिस नागरिकों से अपील कर रही है कि ऐसे किसी भी संदिग्ध कॉल पर तुरंत सतर्क हो जाएं और स्थानीय पुलिस को सूचित करें।