मुंबई। महाराष्ट्र के महालेखाकार (ऑडिट 2) की ओर से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसने कहा है कि मुंबई के अंधेरी स्थित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) ने बीते वर्ष ‘फर्जी ड्राइविंग टेस्ट’ के आधार पर 76 हजार ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर दिए। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि इस खुलासे के बाद आरटीओ ने मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ड्राइविंग टेस्ट और ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) के दस्तावेजीकरण से जुड़े कई अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है। यह स्कैम ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदनों के प्रोसेसिंग के संबंध में सारथी के ऑनलाइन डेटा से 1.04 लाख लाइसेंसों की जांच के दौरान सामने आया। ऑडिट के नतीजे चौंकाने वाले थे। 1.04 लाख लाइसेंसों की जांच की गई। इसमें से 75 प्रतिशत (76,354 ड्राइविंग लाइसेंस) 2023-2024 में जारी किए गए, जिनमें अमान्य वाहनों पर संदिग्ध ड्राइविंग टेस्ट किए गए थे। ठाणे के सामाजिक कार्यकर्ता की सूचना के बाद आरटीओ अधिकारियों ने इस मामले का खुलासा करना शुरू कर दिया। अब इसके दूरगामी परिणाम होंगे और सड़कों पर तेज रफ्तार से वाहन चलाने वाले हजारों चालकों की ड्राइविंग स्किल पर संदेह होगा। टू व्हीलर के लिए 41,093 ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए गए, वहीं फोर व्हीलर के लिए 35,261। इसमें स्पष्ट रूप से संदिग्ध लेनदेन की संभावना है। लेखा परीक्षकों ने निष्कर्ष निकाला कि लाइसेंस चार पहिया वाहनों के लिए जारी किए गए, लेकिन ड्राइविंग टेस्ट दोपहिया (बाइक) वाहनों पर किए गए। आरटीओ पर तंज कसते हुए लेखा परीक्षकों ने कहा कि यह स्पष्ट है कि ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट के लिए दस्तावेज तैयार करते समय न तो उचित प्रक्रियाओं का पालन किया गया और न ही आरटीओ निरीक्षकों की ओर से वाहन की डिटेल का सत्यापन किया गया। संपर्क करने पर एक आरटीओ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर आईएएनएस से कहा कि यह सिर्फ एक आरटीओ (अंधेरी) का ऑडिट डेटा है और महाराष्ट्र में 53 ऐसे आरटीओ हैं। इसके अलावा पूरे भारत में 1,100 से अधिक आरटीओ हैं। वहां भी इस तरह का खेल चल रहा होगा। सालाना लगभग 1.20 करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस जारी होता है। इनका भी ऑडिट होना चाहिए।