Sunday, December 14, 2025
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महाराष्ट्र में मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन मंत्री ने पेश किया विस्तृत कार्यक्रम

नागपुर। राज्य में मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग ने ठोस उपाय शुरू किए हैं। भविष्य में किसी भी व्यक्ति की जान जोखिम में न पड़े, इसके लिए यंत्रणा सतर्क है। इस संदर्भ में लोकप्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की जाएगी, यह जानकारी वन मंत्री गणेश नाईक ने मंगलवार को विधानसभा में दी। वन मंत्री नाईक ने तेंदुए के हमलों के संबंध में सवालों का जवाब देते हुए बताया कि पुणे, अहिल्यानगर और नासिक जिलों में तेंदुए की संख्या बढ़ गई है। बिबट्या केंद्रीय वन्यजीव संरक्षण कानून की अनुसूची एक में शामिल है, इसलिए कार्रवाई करने में सीमाएँ हैं। इस कारण से बिबट्याओं को अनुसूची एक से अनुसूची दो में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। इसके साथ ही केंद्रीय वन विभाग ने राज्य में पांच बिबट्याओं की नसबंदी की अनुमति दी है और इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। छह महीने में रिपोर्ट आने के बाद और बिबट्याओं की नसबंदी का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा। पुणे जिले के जुन्नर में तेंदुए के लिए बचाव केंद्र शुरू किया गया है और इसकी क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, अहिल्यानगर में भी बचाव केंद्र खोलने के निर्देश हैं। पुणे जिले को 1200 पिंजरों की आपूर्ति की गई है, और नासिक व अहिल्यानगर को भी पिंजरे दिए गए हैं। भविष्य में पिंजरों की संख्या और बढ़ाई जाएगी, और यदि लोकप्रतिनिधियों की मांग होगी, तो तुरंत पिंजरे उपलब्ध कराने के आदेश विभाग को दिए गए हैं। तेंदुए पर नजर रखने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर एक प्रणाली बनाई गई है, जो बिबट्याओं की गतिविधियों की जानकारी ग्रामीणों तक पहुंचाएगी। बिबट्याओं के क्षेत्र में स्थित स्कूलों का समय बदल दिया गया है। जंगल में वन्यजीवों को प्राकृतिक भोजन उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं और जंगल की सीमा पर बांस की बाड़ लगाने की योजना बनाई गई है। मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए गृह, वन और महसूल विभाग की गस्त टीम बनाई गई है, जिसमें स्थानीय युवाओं को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। वन मंत्री नाईक ने कहा कि इन सभी मुद्दों पर लोकप्रतिनिधियों और अधिकारियों की संयुक्त बैठक कर समाधान निकाला जाएगा। महसूल मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे ने अधिवेशन के दौरान तेंदुए के हमलों पर लोकप्रतिनिधियों और अधिकारियों की विभागवार बैठक कर समाधान निकालने का आग्रह किया। इस चर्चा में डॉ. जितेंद्र आव्हाड, नाना पटोले, शरद सोनवणे, अब्दुल सत्तार और कृष्णा खोपड़े सहित कई सदस्य शामिल हुए।

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