
स्वतंत्र लेखक- इंद्र यादव
ठाणे। ठाणे के मानपाड़ा इलाके में संदेश दुकान के मालिक टी.आर. चौधरी की दुकान से लाखों रुपये का प्रतिबंधित गुटखा बरामद हुआ। जैसे कोई बॉलीवुड थ्रिलर का क्लाइमैक्स! लेकिन सवाल ये है, महाराष्ट्र में गुटखा पर प्रतिबंध है ना! फिर ये ‘खतरनाक सामान’ दुकानों में कैसे घुस रहा है! क्या सरकार सो रही है, या ये सब ‘स्वास्थ्य मंत्रालय’ व एफडीए मंत्रालय का नया ‘इनोवेटिव बिजनेस मॉडल’ है! चलिए, पहले गुटखा की ‘महिमा’ गाते हैं, ये छोटा-सा पैकेट, जो जेब में फिट हो जाता है, मुंह में डालते ही आपको ‘सुपरहीरो’ बना देता है। लेकिन असलियत! ये तंबाकू, चूना, सुपारी और क्या-क्या मिलाकर बना ‘जहर का कॉकटेल’ है। डॉक्टरों की मानें तो गुटखा चबाने से मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, दांतों का गिरना, दिल की बीमारियां और तो और, नपुंसकता तक हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) कहता है कि भारत में हर साल लाखों लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से मरते हैं, और गुटखा उसका ‘स्टार प्रोडक्ट’ है। एक स्टडी में पाया गया कि गुटखा चबाने वालों में ओरल कैंसर का खतरा 8-10 गुना बढ़ जाता है। फिर भी, ठाणे जैसे ‘स्मार्ट सिटी’ में ये बिक रहा है! वाह, क्या प्रगति है! महाराष्ट्र सरकार, जो गुटखा पर 2012 से प्रतिबंध लगाकर तालियां बटोर रही थी। “हम जनता की सेहत की रक्षा कर रहे हैं!” ये उनका चुनावी नारा था। लेकिन हकीकत! ठाणे में लाखों का स्टॉक बरामद हो रहा है, और पुलिस को ‘सूचना’ मिल रही है। मतलब, दुकानदार खुलेआम बेच रहे हैं, और सरकार की ‘एंटी-गुटखा स्क्वॉड’ कहां है! शायद छुट्टी पर! या फिर, ये प्रतिबंध सिर्फ कागजों पर है– असल में तो गुटखा कारोबार फल-फूल रहा है। क्यों? क्योंकि अवैध व्यापार से टैक्स नहीं आता, लेकिन ‘कुछ हाथों’ में पैसे जरूर जाते हैं। सरकार कहती है, “हम सख्त हैं!” लेकिन सख्ती कहां! क्या पुलिस वाले गुटखा चबाते हुए गश्त कर रहे हैं! बात करें तो, सरकार का ये ‘प्रतिबंध’ ऐसा है जैसे कोई कहे, “मैं डाइट पर हूं, लेकिन रोज केक खाता हूं!” ठाणे में गुटखा बिकना साबित करता है कि कानून सिर्फ गरीबों के लिए है , अमीर व्यापारी तो ‘संदेश दुकान’ खोलकर करोड़ों कमा रहे हैं। और हम जनता! हम चबाते रहो, कैंसर होते रहो, अस्पतालों में लाइन लगाओ, सरकार तो ‘स्वास्थ्य बजट’ बढ़ाकर खुश है! अगली बार चुनाव में वोट मांगने आएंगे तो कहेंगे, “हमने गुटखा बैन किया!” हां भाई, बैन किया, लेकिन ‘अनबैन’ भी कर दिया!?समय आ गया है कि हम सब मिलकर सरकार से पूछें की प्रतिबंध है तो लागू क्यों नहीं! गुटखा से होने वाली बीमारियों का बोझ जनता क्यों उठाए! या ये सब ‘आर्थिक विकास’ का हिस्सा है, अस्पतालों को मरीज चाहिए ना! ठाणे की इस घटना से सबक लो, सरकार,या तो सख्ती दिखाओ, या प्रतिबंध हटाओ और टैक्स लगाओ, कम से कम राजस्व तो आएगा। वरना, ये व्यंग्य नहीं, हकीकत बन जाएगी “गुटखा मुक्त महाराष्ट्र” सिर्फ पोस्टरों पर!




