केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था, जिससे रुष्ट होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा।
भगवान विष्णु की उपासना तुलसी दल के बिना पूर्ण नहीं होती,परन्तु भगवान शिव की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग वर्जित माना गया है।
हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसे शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना जाता है इसलिए शिवलिंग पर ठंडी वस्तुएं जैसे बेलपत्र, भांग, गंगाजल, चंदन, कच्चा दूध चढ़ाया जाता है।
शिवजी ने शंखचूड़ का वध किया इसलिए कभी भी शंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है।
शिवजी तो विनाशक हैं, यही वजह है कि सिंदूर से भगवान शिव की सेवा करना अशुभ माना जाता है।
शिवजी के ऊपर भक्तिभाव से एक वस्त्र चढ़ाकर उसके ऊपर चावल रखकर समर्पित करना और भी उत्तम माना गया है।